यह सारा विश्व एक अद्भुत शक्ति से ओत-प्रोत है। यह शक्ति इतनी महान, इतनी अगम्य है कि इसका अनुमान अभी तक कोई नहीं लगा सका है। वेदों को सभी विद्याओं की खान कहा गया है, परंतु वे भी ‘नेति-नेति’ कहकर मौन हो जाते हैं। इस महान शक्ति को तीन भागों में विभाजित किया जा सकता है—प्रकृति, आत्मा और परमात्मा। तीनों की ही शक्ति अगाध है। तीनों का कभी नाश नहीं होता और तीनों ही शाश्वत हैं। इसके पश्चात इनमें अंतर उत्पन्न होता है ।
आधुनिक भारतीय विद्वानों में एक बड़ा अंतर है । जिस बात को भारतीय मनीषी सत्य एवं संभव मानते थे, उसी को आधुनिक विद्वान बेसिर-पैर की कहानी तथा अन्य श्रद्धा या अंधविश्वास कहकर टाल देते हैं। इसके विपरीत कुछ विद्वान प्रत्येक मान्यता में सच्चाई का पुट देते हैं और फिर उसे विज्ञान की कसौटी पर कसते हैं।
यह सृष्टि ईश्वर की सबसे विलक्षण कृति है। यह वह लीला है जिसका पार पाने के लिए बड़े-बड़े ऋषि-मुनियों ने भरसक प्रत्यन किया, परंतु अभी तक इसका रहस्य कोई नहीं जान सका है। इस संसार में ऐसी अनेक शक्तियां हैं जो हमें प्रभावित करती हैं। ग्रह, उपग्रह सभी हम पर प्रभाव डालते हैं। भारतीय ज्योतिष शास्त्र तो इस बात को मानता ही है ।
इस दिशा में किए जाने वाले प्रयत्नों के मार्ग में जो छोटी-छोटी उपलब्धियां होती हैं, उन्हीं को शक्तियों का नाम दे दिया जाता है। जब ये शक्तियां अपने चरम रूप को प्राप्त कर लेती हैं तो साधक को शक्ति की प्राप्ति हो सकती है, परंतु अलौकिक शक्ति प्राप्त करने की इच्छा रखने वाले प्रत्येक व्यक्ति को सफलता प्राप्त नहीं होती । जिस प्रकार प्रत्येक विद्यार्थी एम. ए. की उपाधि को ही अपना लक्ष्य बनाकर अध्ययन प्रारंभ नहीं करता । कोई आठवीं कक्षा उत्तीर्ण करके पढ़ाई छोड़ देता है, कोई दसवीं, कोई इंटर और कोई बी. ए. करने के बाद ऐसे बहुत कम छात्र होते हैं जो एम. ए. करते हैं । यही स्थिति शक्ति प्राप्त करने वालों की भी है ।
इसी शक्ति प्राप्त करने के क्रम में आपने तीसरी आंख (Third Eye) की बात भी अवश्य सुनी होगी। यह तीसरी आंख सबमें होती है, लेकिन जाग्रत कठोर साधना या कुंडलिनी जागरण के पश्चात
ही होती है।
Sabhar
Kundalani jagaran sakti pt sashi mohan Bahal